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  • Writer's pictureA. N. Ganeshamurthy

सबसे बेहतर अनारके बीमारियों का प्रबंधन अर्का माइक्रोबियल कंसोर्टियम (ए.एम.सी.) के सहारे से करें

Updated: Jul 1, 2020

ICAR-IIHR अर्का माइक्रोबियल कंसोर्टियम (ए एम सी) के सही इस्तेमाल कर स्वस्थ, बीमारी रहित एवम ज़हरीली रेसिडुए रहित अनार का उत्पादन करे।


अर्का माइक्रोबियल कंसोर्टियम (ए एम् सी) के साथ अनारके बीमारियों का प्रबंधन

नमस्ते

आज मैं आपको यह बताने आया हूं कि किसानों को अनार के रोगों का प्रबंधन करने के लिए ऐ. ऍम .सी का उपयोग कैसे करना चाहिए

मुझे सैकड़ों किसानों से बैक्टीरियल ब्लाइट बीमारी अथवा अंगमारी और विल्ट या उकठा रोग और अन्य बीमारियों के बारे में लगातार फोन आते हैं। दुर्भाग्य से सभी किसानों ने बीमारी आने के बाद और फसल कि हालत खराब होने की बाद फोन करते है ya व्हाट्सएप से संपर्क करते हैं । उस समय तक किसानों ने इस बीमारी को नियंत्रित करने के लिए सभी फफूंदनाशकों, एंटीबायोटिक्स, और कई अन्य जहरीले रसायनों का इस्तेमाल किया होगा और जब वे nakamiyab हो गए और बीमारी नियंत्रण से बाहर हो गई, तो kisano ne समाधान के लिए व्हाट्सएप के जरिए hame संपर्क करते हैं, ।


Toh fasal mein bimari aane k baad aur antibiotics aur jaharili rasayano ka istamal karne k baad agar hum iss star par prabandh paddati ko badalte hai toh isse koi laabh nahi hoga aur bimari theek nahi hogi.

भगवान की खातिर किसानों को ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि अगर हम इस स्तर पर प्रबंधन पद्धति को बदलते हैं तो यह मुश्किल होगा और बीमारी ठीक नहीं होगी। इसलिए अनार के रोगों का इलाज करने के लिए ए. ऍम .सी पूर्ण विधि का उपयोग करना शुरू करें। यदि आप मेरे सुझाव के अनुसार ए. ऍम .सी का उपयोग करने की पूरी विधि का palan करते हैं तो आपको एक सफल फसल मिलेगी।

तो आइए देखें कि अनार के बीमारियों को प्रबंधित करने के लिए ए. ऍम .सी का उपयोग करना सबसे अच्छा कैसे है?

ए. ऍम .सी सिस्टम का उपयोग पूरी तरह से शुरू करने से पहले ए सुनिश्चित करें

किसानों को यह समझने की जरूरत है कि अनार के सभी बिमरिया मिट्टी सेहीं होते हैं। इसलिए हमें पहले ए. ऍम .सी से मिट्टी का इलाज करना चाहिए और जरुरी भी है ।

यह मिट्टी से पौधे पर हमला कैसे करता है? ए जानना भी जरुरी है

जब वर्षा का पानी जमीन पर गिरती है, संक्रमित मिट्टी पौदोंका तना और पत्तियों पैर लगजाता है। इस संक्रमित मिट्टी में रोग पैदा करने वाले सूक्ष्मजीव पौधे की पत्तियों या तनों में प्रवेश करते हैं और बीमारी पैदा करते हैं। या सिंचाई या स्प्रिंकलर के कारन से भी फैलता है रोग पैदा करने वाले सूक्ष्मजीव ।

यदि हम एम्स से मिटटी को ड्रेंचिंग करते है और पैड़ोंपर छिड़काव करते है तो रोग पैदा करने वाले सूक्ष्मजीव मर जाते हैं, जिससे रोग नियंत्रण मे आजाते है।

इसके आलावा ए. ऍम. सी. के उपयोग से पेड़ की आंतरिक शक्ति में वृद्धि होती है। बीमारियों से निपटने के लिए हमें ऐ. ऍम .सी के उपयोग के साथ साथ पौधे की प्रतिरक्षा बढ़ाने की आवश्यकता भी है

यह कैसे किया जा सकता है?

उच्च गुणवत्ता ऐ. ऍम .सी के अलावा उच्च गुणवत्ता वाले गोबर की खाद और कम्पोस्ट आदि का उपयोग करके पौधे की प्रतिरक्षा बढ़ासकते है।

पोषक तत्वों का उपयोग करके और सूक्ष्म पोषक तत्वों के बीच एक सही संतुलन बनाए रखने से भी पौधे की प्रतिरक्षा बढ़ासकते है।

कृपया नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की समान मात्रा वाले उर्वरकों का उपयोग यानी 19:19:19 जैसा पानी में घुलनशील उर्वरक न करें। नाइट्रोजन के चार भागों, फास्फोरस के 2 भागों और पोटाश के 4 भागों का उपयोग करें और सूक्ष्म पोषक तत्वों को पैड़ोंपर पर छिड़काव करना सुनिश्चित करें। यदि मिटटी में मिलाना हेतु विशेषग्नोंका सलाह लेकर करें।

जहातक होसके कीट नियंत्रण सिर्फ संयुक्त कीटनाशक विधियों का उपयोग करें और कीटनाशकों का उपयोग छोड़ दे। जितना हो सके नीम की साबुन का इस्तेमाल करें। कृपया पौधों पर एंटीबायोटिक्स जैसे हानिकारक दवाईयों का उपयोग न करें और पौधे पर किसी भी जहरीले रसायनों का उपयोग से बचें। ऐसा इसलिए है कि हानिकारक दवाईय पेड़ की आंतरिक प्रतिरक्षा प्रणाली को ख़राब कर देते हैं और पेड़ बीमारियों का शिकार हो जाते हैं।

अनार में ए. ऍम .सी का उपयोग करने की सही विधि

सुनने में आया है कि कई किसानों को ए. ऍम .सी का उपयोग से फायदा नहीं हुआ

ऐसा इसलिए है क्योंकि कई किसान ए. ऍम .सी का उपयोग करते समय उचित निर्देशों का पालन करने में विफल रहते हैं।

तो आमतौर पर किसान क्या गलतियां करते हैं?

1. उन्होंने केवल एक या दो बार ऐ. ऍम .सी का छिड़काव किया होगा और रोग नियंत्रण का इंतजार किया होगा

2. वे केवल मिट्टी को ड्रेंचिंग या नमी किया होगा और पौधे पर छिड़काव या स्प्रे नहीं किया होगा।

3. हो सकता है की उन्होंने ए. ऍम .सी को जहरीली फफूंदनाशी और एंटीबायोटिक्स के साथ छिड़काव किया होगा। ऐसा करनेसे ऐ. ऍम .सी का उपयोगी सुक्ष्म जीवाणु मरजाते है और बीमारियों को नियंत्रित करने से विफल होजाता है।

4. एभी हो सकता है की उन्होंने अन्य उर्वरकों और रसायनों के साथ ए. ऍम .सी का छिड़काव किया होगा । इससेभी ऐ. ऍम .सी का उपयोगी सुक्ष्म जीवाणु मरजाते है।

5. अथवा किसान ए. ऍम .सी को जीवामृत के साथ मिलकर लम्बी समय तक रखा होगा और बाथ में छिड़काव किया होगा इससे ऐ. ऍम .सी में घुटन के कारन उपयोगी सुक्ष्म जीवाणु मरजाते है।

6. उन्हें गुड़ के साथ मिलाकर लंबे समय तक रखा होगा और बाथ में छिड़काव किया होगा इससे ऐ. ऍम .सी में घुटन के कारन उपयोगी सुक्ष्म जीवाणु मरजाते है।

इन्ही अनेक कारणोंसे ए. ऍम .सी उन किसानोंके बाग़ में काम नहीं किया होगा।

किसानों को यह समझना चाहिए कि सर्वोत्तम परिणामों के लिए ए. ऍम .सी उपयोग की सही और पूर्ण विधि का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। चूंकि ए. ऍम सी आयुर्वेदिक दवा जैसे धीमीगति से काम करता है। लेकिन निश्चित रूप से एंटीबायोटिक और कवकनाशी दवाओं से बेहतर है।

इस पद्धति से किसान को पैसे का भी अधिक खर्च नहीं पड़ेगा और आज के समय की तुलना में किसी भी अन्य प्रणाली की तुलना में आधे खर्च होंगे जो एंटीबायोटिक और कवकनाशी दवाओं का उपयोग से पड़ते है ।

अनार में ए. ऍम. सी. उपयोग करने का सही पद्धति

चरण 1. ए. ऍम .सी का उपयोग इथरल छिड़काव के समय से शुरू किया जाना चाहिए। पहले सिंचाई के तुरंत बाद 50 ग्राम ए. ऍम .सी पाउडर प्रति पेड़ या 25 मिली तरल ए. ऍम .सी प्रति 10 से 15 लीटर पानी में मिलकर पड़ोंके जड़ों पर ड्रेंचिंग करनाचाहिए यानि मिट्टी को नमी करना चाहिए ।

चरण 2. इसे एक महीने बाद फिर दोहराएं

चरण 3. एथेराल छिड़काव करनेके २० दिन से लेकर फल कटाव तक बिना रुके हर हफ्ते 10 मिलीलीटर ए. ऍम .सी तरल को एक लिट्जर पानिमे घोलकर छिड़काव करते रहे.

यदि दो छिड़काव के बीच बारिश होती है, तो फिर से एक छिड़काव करें। छिड़काव करते समय ए. ऍम .सी के साथ किसी भी अन्य रसायन या दवा को न मिलाएं।

चरण 4. फलों की सेटिंग से लेकर 20 दिन के अंतराल पर तीन बार माइक्रोन्यूट्रीएंट्स को 5 ग्राम प्रति लीटर की दर से छिड़काव करे ।

चरण 5. एक बार जब फल नींबू के आकार का हो जाता है, तो एक पैकेट अनार के पाउडर को 2 किलोग्राम एसओपी और एक किलोग्राम यूरिया के दर पर 250 लीटर पानी में मिलाकर 20 दिनों के अंतराल पर तीन बार छिड़काव करे ।

चरण 6. कीड़ों के नियंत्रण के लिए नीम की साबुन या पोंगामिया साबुन का उपयोग करें। कीटनाशकों को अंधाधुंध उपयोग न करें। यदि कीड़ों की समस्या गंभीर है, तो उचित सलाह के लिए सोलॉफ कृषि से संपर्क करें।

चेतावनी: यदि आप ए. ऍम .सी का उपयोग कर रहे हैं, तो आपको फूल, फल का आकार और रंग बढ़ाने के लिए किसी भी जहरीले रसायनों जैसे एंटीबायोटिक्स, कवकनाशी और किसी भी अन्य रसायनों का उपयोग करना पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए। यदि आप ए. ऍम .सी का उपयोग करने का सही पद्धति अपनाते है तो दूसरी किसी भी रसायन छिड़काव का जरूरत नहीं है।

यद्यपि इन सभी विधियों के बावजूद, कभी-कभी लगातार अधिक वर्षा होने पर यह बीमारी नियंत्रण से बाहर होजाते है। क्योंकि बारिश में ए. ऍम .सी स्प्रे दवा धुलजाते है । लेकिन जब भी ऐसा होता है, किसी भी एंटीबायोटिक दवाओं और कवकनाशीको का छिड़काव से फसल को बचाया नहीं जा सकता है।

रेस्ट पीरियड यानि बाकी अवधि के दौरान किसान आमतौर पर अनार के पेड़ों पर ध्यान नहीं देते हैं। यह खतरनाक है। इस अवधि के दौरान रोगाणुवोंकी वृद्धि होती हैऔर प्रसार भी करते हैं। यदि हम बाकी अवधि के दौरान रोगाणुवोंकी नियंत्रित करते हैं, तो फसल के मौसम में बीमारियों का प्रबंधन करना आसान होता है। किसान रेस्ट पीरियड यानि बाकी अवधि के दौरान इन चार तत्वों का पालन करें।

बारिश के मौसम में जून से सितंबर तक की रेस्ट पीरियड

1. रेस्ट पीरियड की अवधि के दौरान पर्याप्त उर्वरक का उपयोग करके पेड़ों को अच्छा पोषण प्रदान करें

2. सभी रोगग्रस्त फलों, पत्तियों और टहनियों को हटा दें और सभी गिरे हुए फलों को जमीन से इकट्ठा कर लें और जलाये।

3. रेस्ट पीरियड में एक बार ऐ. ऍम .सी पाउडर ड्रैंचिंग करे और ए. ऍम .सी तरल को एक से दो बार छिड़काव करे।

4. रेस्ट पीरियड के दौरान पेड़ों से नियमित रूप से सभी फूलों और फलों को हटा दें।

5. कम से कम चार महीने की रेस्ट पीरियड यानि आराम अवधि दें।


यदि फरवरी से जून तक गर्मी के महीनों के दौरान आराम की अवधि होती है

सभी रोगग्रस्त फलों, पत्तियों, शाखाओं को हटा दें, जमीन से सभी गिरे हुए फलों को भी इकट्ठा करें और उन्हें जला दें

पत्तियों को अपने आप झड़ने दे और पेड़ को अच्छीतरह सुक्ने दे

जबतक पेड़ सुक्कर पत्तिया झड़जातेहै तबतक पानी न दे जब तक आपको लगता है कि पौधे को जीवित रहने के लिए पानी की जरूरत है, तब तक मिट्टी और पेड़ को तेज धूप में सुक्ने दे । यह बहुत हद तक रोगजनकों को मारने में मदद करता है।

गर्मियों में सूखने के बाद केवल पेड़ पर कुछ पत्तियां होती हैं, फिर बचेहुए पत्तियोंको हाथसे नकालदे और जहातक होसकतेहि एथेराल इस्तेमाल न करे

ए. ऍम .सी तरीके आपको अन्य सभी रासायनिक विधियों पर बेहतर नियंत्रण प्रदान करते हैं। यह जैविक है, यह सुरक्षित है।

सभी किसान ए. ऍम .सी विधि का उपयोग करे और सुरक्षित अनार का उत्पादन करे।

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नमस्ते

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